बहुत तेज़ रफ़्तार है ज़िन्दगी की यारों
कई अपने राह में हीं छूट जाते हैं...
किसे फुर्सत की मुड़ के देखे ले...
मंजिल की चाह में अकेले चले जाते हैं
खुदगर्ज़ से हो गए हैं रिश्ते सभी के...
चेहरों पे कई चेहरे मिल जाते हैं...
गर भरी हो जेब तो बेगाने भी अपने हैं
वरना अपने भी कहाँ गुरबत में अपनाते हैं...
देखा है 'रश्मि' दुनियाँ को रंग बदलते...
जो दिल में बसे थे वही ठोकर लगाते हैं।।
कई अपने राह में हीं छूट जाते हैं...
किसे फुर्सत की मुड़ के देखे ले...
मंजिल की चाह में अकेले चले जाते हैं
खुदगर्ज़ से हो गए हैं रिश्ते सभी के...
चेहरों पे कई चेहरे मिल जाते हैं...
गर भरी हो जेब तो बेगाने भी अपने हैं
वरना अपने भी कहाँ गुरबत में अपनाते हैं...
देखा है 'रश्मि' दुनियाँ को रंग बदलते...
जो दिल में बसे थे वही ठोकर लगाते हैं।।
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