Search This Blog

Tuesday, January 31, 2017

तेज़ रफ़्तार है ज़िन्दगी

बहुत तेज़ रफ़्तार है ज़िन्दगी की यारों
कई अपने राह में हीं छूट जाते हैं...
किसे फुर्सत की मुड़ के देखे ले...
मंजिल की चाह में अकेले चले जाते हैं
खुदगर्ज़ से हो गए हैं रिश्ते सभी के...
चेहरों पे कई चेहरे मिल जाते हैं...
गर भरी हो जेब तो बेगाने भी अपने हैं
वरना अपने भी कहाँ गुरबत में अपनाते हैं...
देखा है 'रश्मि' दुनियाँ को रंग बदलते...
जो दिल में बसे थे वही ठोकर लगाते हैं।।


No comments:

Post a Comment