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Monday, April 8, 2013

जुंबिश....


ना लबों पे जुंबिश, 
ना होठों पर तरन्नुम,
ना चेहरे पर नूर का कोई निशां,
अजीब शै है...
मोहब्बत भी यारों,
कर देती है खुद से,
खुद को हीं जुदा...
ये दिल भी मेरा...
बेवफा हीं निकला,
ठिकाना मेरे सीने में,
पर धड़कता है... 
किसी और के लिए,
आँखें बंद करूँ तो उसका चेहरा ,
खुली आँखों में सपना उसका....

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