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Tuesday, May 25, 2010

तब्बसुम

अपने होठों पर तब्बसुम को सजाये रखना
आँसूओं को पलकों में छुपाए रखना...
क्या पता ज़िंदगी का क्या मुकाम हो
दिल में हसरतों को यूं हीं सजाये रखना।

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