Muk-Abhivyakti
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Tuesday, May 25, 2010
राह....
सारे रिश्ते नाते छुट गए
सारे वादे अपने टूट गए
उस राह की मंज़िल क्या होगी
जिस राह के रही लूट गए।
तब्बसुम
अपने होठों पर तब्बसुम को सजाये रखना
आँसूओं को पलकों में छुपाए रखना...
क्या पता ज़िंदगी का क्या मुकाम हो
दिल में हसरतों को यूं हीं सजाये रखना।
कफ़न
मेरे सीने में अपनी यादों को दफन कर दो
इन यादों से अपनी आँखों को जरा नम कर लो
जान-ए-क़ातिल कुछ जुस्तजू नहीं बाक़ी
बस मुझे एक टुकड़ा कफ़न दे दो।।
सच
जब सच के आईने को सामने रख कर देखा
तो अपना हीं चेहरा अजनबी नज़र आया।।J
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